रीतिमुक्त कवि वाक्य
उच्चारण: [ ritimuket kevi ]
उदाहरण वाक्य
- फलतः अपनी स्वच्छंद वृत्ति के कारण ये कवि रीतिमुक्त कवि कहलाए।
- १८वीं शती में आचार्य केाव जैसा छंद प्रसिद्ध रीतिमुक्त कवि बोधा
- इस युग में रीतिबद्ध कवियों के उपरांत कुछ रीतिमुक्त कवि भी हुए हैं।
- परंतु घनानंद तो ‘ दग़ादार से यारी ' करने वाले एकमात्र रीतिमुक्त कवि हैं।
- तीसरे वर्ग में घनानंद, बोधा, द्विजदेव ठाकुर आदि रीतिमुक्त कवि आते हैं जिन्होंने स्वच्छंद प्रेम की अभिव्यक्ति की है।
- तीसरे वर्ग में घनानंद, बोधा, द्विजदेव ठाकुर आदि रीतिमुक्त कवि आते हैं जिन्होंने स्वच्छंद प्रेम की अभिव्यक्ति की है।
- प्रसिद्ध रीतिमुक्त कवि घनानंद एक कवित्त में कहते हैं-अति सूधो सनेह को मारग है, जहां नैक सयानप बांक नही...
- चंदेलकालीन नाटककार वत्सराज, हिंदी की रीतिकविता के प्रवर्तक आचार्य केाव, रीतिमुक्त कवि बोधा एवं छंदयाऊ फाग के प्रवर्तक भुजबल की कविता में उसका स्मरण आदरपूर्वक किया गया है ।
- तीसरे प्रकार के कवि वे थे, जो न तो रीतिबद्ध थे, न रीतिबद्ध-अर्थात वे रीतिमुक्त कवि थे-जिन्हें ‘ रीति ' के नाम से ही घृणा थी-वे रीति का छायामात्र से भी दूर भागते थे।
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